मंगलवार, 14 जनवरी 2014

ये ज़िन्दगी क्या है? और हम यहाॅ कर क्या रहे हैं ? What is this Life and , What we are Doing ? What's our Aim ??

ये ज़िन्दगी क्या है? और हम यहाॅ कर क्या रहे हैं ?
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            दोस्तोंहम दुनिया में क्यों है?” अगर इस दुनिया में हम खुद आये होते तो हमें मालूम होता कि, हम यहाॅ  क्यों आये है. अगर हमने अपने आप को खुद  बनाया होता तो हमे मालूम होता कि हमारे बनने का मकसद क्या है? हम जब कहीं भी जाते हैं, तो हमारा वहां जाने का मकसद होता है, और हमें पता होता है कि हम वहां क्यों जा रहे हैं. ना तो हम खुद आये है और ना हमने अपने आप को खुद बनाया है. ना हम अपनी मर्ज़ी से अपनी उम्र लेकर आये है और ना अपनी मर्जी से अपनी शक्ल-सूरत लेकर आये है. पुरुष, पुरुष बना किसी और के चाहने से, महिला, महिला बनी किसी और के चाहने से. रंग-रूप, खानदान,मोहल्ला, परिवार, यानि जो भी मिला है इस सबका फैसला तो कहीं और से हुआ है. जीवन का समय तो किसी और ने तय किया हुआ है, वह कौन है , हम अपनी खुद की कोशिशों से सारी जिन्दगी भी यह पता नहीं लगा सकते है कि मैं कहॅा से आया हूँ? मुझे किसने भेजा है? मुझे किसने पैदा किया है? यह मुझे मारता क्यों है? मैं तो स्वास्थ्य एवं सुरक्षा से सम्बंधित हर बात पर अमल कर रहा था, फिर यह दिल का दौरा कैसे पड़ गयायह साँस किसने खींच ली? जीती जागती देह का अंत कैसे हो गया? यह वो प्रश्न है जिसका उत्तर बताने के लिए हमारे बनाने वाले ने लगभग सवा लाख संदेशवाहकों को भेजा. उन्होंने आकर बताया कि हमारा पैदा करने वाला ईश्वर है, और उसने हमें एक मकसद देकर भेजा है, जीवन ईश्वर देता है और मौत भी वही लाता है, ईश्वर ने अपने संदेशवाहकों के जरिये बताया कि दुनिया परीक्षा की जगह हैं. यहाँ हर एक को अपने हिसाब से एक बॅधे हुये दायरे में कुछ गुणों और सलाहियतो के साथ जीवन यापन करने का हक होगा लेकिन ईष्वर उनकेा उनकी सलाहियतो क्षमताओं के अनुसार अलग अलग माहोल में डाल कर परीक्षा लेगा कि, कौन उसके बताये हुए रास्ते पर चलता है और कौन नहीं. कौन अपनी ज़मीर (अंतरआत्मा) की आवाज़ को स्वीकार करता है, कौन अपनी इच्छाओं और लालच का गुलाम बन कर अपनें ज़मीर को दबा देता है ताकि जब (यवमुद्दीन) फैसले का दिन आये, तो कोई भी यह कह सके की उसके साथ अन्याय हुआइससे सबको पता चल जायेगा की कौन कामयाब हुआ और कौन नाकामयाब. न्याय के दिन आखेरत (परलोक)में  सबके साथ न्याय होगा, वहाॅ कोई सत्ता पक्ष और ही कोई विपक्ष  होगा ,किसी के साथ तनिक भी अन्याय नहीं होगा.
            ईश्वर ने मनुष्य को उसके जीवन का उद्देश्य और जीवन को व्यतीत करने का आदर्श तरीका समझाने के लिए समय-समय पर एवं पृथ्वी के हर कोने में महापुरुषों को अपना संदेशवाहक बना कर भेजता रहा है।

            ईश्वर ने आखिर में हज़रत मुहम्मद (उन पर शांति हो) को भेजा और उनके साथ अपनी वाणी कुरआन को भेजा. कुरआन में ईश्वर ने बताया कि उसने इस पृथ्वी (के हर कोने और हर देश) पर एक लाख, 25 हजार के आस-पास संदेशवाहकों को भेजा है, जिसमे से कई को अपनी पुस्तक (अर्थात ज्ञान और नियम) के साथ भेजा है. लेकिन कुछ स्वार्थी लोगो ने केवल कुछ पैसे, प्रसिद्धि के लोभवश उन पुस्तकों के साथ उन महान पुरूशों की जीवन गाथा मंे ,काफी कुछ को बदल दिया. तब ईश्वर ने कुरआन के रूप में अपनी वाणी को आखिरी संदेशवाहक मुहम्मद (उन पर शांति हो) पर अवतरित किया और क्योंकि वह आखिरी दूत हैं और कुरआन को ईश्वर ने अंतिम दिन तक के लिए भेजा है, इसलिए यह जिम्मेदारी ईश्वर ने स्वयं अपने ऊपर ली इसी वजह से कुरान और उसके आखरी नबी के कथन और कर्म पूर्णतः सुरक्षित हैं और रहेंगे धरती के अंतिम दिन तक उसमें कोई एक बिन्दी के बराबर भी बदलाव नहीं कर पायेगा.                       
    ईश्वर ने यह सारा निजाम मनुष्य केा आखेरत में कामयाब होने के लिये बनाया. दुनिया में उपलब्ध अनेकों-नेक साधनों का प्रयोग केवल जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायता के लिए हैं. लेकिन हाय रे कम अक्ली हम ने जीवन गुजारने के साधनों को अपना मकसदे हयात (जीवन उद्देष्य) बना लिया।
Compiled by
 मोहम्मद  ज़ैनुल  आब्दीन
zainul.abdin.initiative
9838658933

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