रविवार, 5 जनवरी 2014

विश्व रहनुमा : World Leader Hazrat Mohammad (Saw) : Universal Leader

विश्व रहनुमा
किसी व्यक्ति को मानवता का उद्वारक, मानवता का हितचिन्तक और विश्व-रहनुमा कहने के लिए कुछ मानदंड निर्धारित होने चाहिए और फिर उस व्यक्ति का, उन मानदंडों पर आकलन कर के देखना चाहिए कि वह उन पर पूरा उतरता भी है या नहीं।
पहला मानदंड यह होना चाहिए कि उसने किसी विशेष जाति, वंश या वर्ग की भलाई के लिए नहीं, बल्कि सारे संसार के मनुष्यों की भलाई के लिए काम किया हो। एक देश-प्रेमी या राष्ट्रवादी नेता का आप इस रूप से जितना चाहें आदर कर लें कि उसने अपने लोगों की बड़ी सेवा की, किन्तु आप अगर उसके देशवासी या सजाति नहीं हैं तो वह किसी हालत में आपका रहनुमा नहीं हो सकता। जिस व्यक्ति का प्रेम, शुभ-चिंता और कार्य सब कुछ चीन या स्पेन तक सीमित हो, एक हिन्दुस्तानी को उससे क्या संबंध कि वह उसे अपना नेता माने, बल्कि यदि वह अपनी जाति को दूसरों से श्रेष्ठ ठहराता हो और दूसरों को गिराकर अपनी जाति को उठाना चाहता हो तो दूसरे लोग उससे घृणा करने पर बाध्य होंगे। समस्त जातियों के लोग किसी एक व्यक्ति को अपना नेता/पथप्रदर्शक रहनुमा केवल उसी दशा में मान सकते हैं जबकि उसकी दृष्टि में सब जातियां और सब मनुष्य समान हों, वह सबका समान शुभ चिंतक हो और अपनी शुभ कामना में एक को दूसरे पर प्रधानता न दे।
दूसरा मुख्य मानदंड यह है कि उसने ऐसे सिद्धांत पेश किए हों जो सारे संसार के मनुष्यों का पथ-प्रदर्शन करते हों और जिनमें मानव-जीवन की सारी समस्याओं का समाधान हो।
रहनुमा का अर्थ है पथ-प्रदर्शक। रहनुमा की आवश्यकता इसलिए है कि वह कल्याण और भलाई का रास्ता बताए। अतः संसार का रहनुमा वही हो सकता है जो सारे संसार के मनुष्यों को ऐसा मार्ग बताए जिसमें सबका कल्याण हो।
तीसरा मानदंड यह है कि उसका पथ-प्रदर्शन (रहबरी) किसी विशेष काल के लिए न हो, बल्कि हर काल और हर स्थिति में समान रूप से लाभदायक और समान रूप से शुद्ध और समान रूप से अनुकरणीय हो। जिस नेता का पथ-प्रदर्शन एक काल में लाभकारी और दूसरे काल में निरर्थक हो उसको विश्व-रहनुमा नहीं कहा जा सकता। विश्व का रहनुमा सिर्फ वही है, कि जब तक संसार शेष है, उसका पथ-प्रदर्शन भी लाभदायक रहे।
चैथा मुख्य मानदंड यह है कि उसने केवल सिद्धांत ही पेश करने पर बस न किया हो, बल्कि अपने पेश किए हुए सिद्धांतों को जीवन में कार्यान्वित (प्उचसमउमदज)करके दिखा दिया हो और उनके आधार पर एक जीता-जागता समाज निर्मित कर दिया हो। केवल सिद्धांत पेश करने वाला व्यक्ति अधिक-से-अधिक एक विचारक हो सकता है, रहनुमा नहीं हो सकता। रहनुमा होने के लिए आवश्यक है कि आदमी अपने सिद्धांतों को कार्यान्वित करके दिखा दे।

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