शनिवार, 11 जनवरी 2014

Hazrat Muhammad (SAw) on Test Parameter s मानदण्डों की कसौटी पर IVth

अब चैथा और अन्तिम मानदंड बाकी रह जाता है। यह ऐतिहासिक सत्य है कि हजरत मुहम्मद (सल्ल) ने केवल एक दाशर्निक योजना ही पेश नहीं की, बल्कि उस योजना पर एक जीवित और जागरूक समाज निर्मित करके दिखा दिया। उन्होंने 23 वर्ष के अल्पकाल में लाखों मनुष्यों को सिर्फ एक ईश्वर (अल्लाह) के शासन के आगे अपना शीष झुकाने पर तैयार कर दिया, उनसे उनकी स्वेच्छाचारिता और स्वच्छन्दता (नफ्स परस्ती)भी छुड़ाई और ईश्वर के अतिरिक्त दूसरों की बन्दगी, डर, भय तथा लोभ भी। फिर उनको एकत्रित करके शुद्ध ईश्वरीय आज्ञापालन पर एक नई आचार-व्यवस्था, एक नई सांस्कृतिक व्यवस्था, एक नई सामाजिक व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था और विश्वव्यापी कानून व्यवस्था बनाई और उन सारी व्यवस्थाओं को व्यवहार में लाकर सारे संसार को दिखा दिया कि वह जो सिद्धांत पेश कर रहे हैं उसके आधार पर कैसा जीवन बनता है और दूसरे सिद्धांतों के धार्मिक आडम्बरों और मठाधीषों के बताये जीवन के सम्मुख वह कितना उपयुक्त, कितना पवित्र और कितना शुद्ध है। यह वह व्यक्तित्व और उनका कारनामा है जिसके आधार पर हम हजरत मुहम्मद (सल्ल) (उन पर ईश्वर की दया और कृपा हो) को ‘‘विश्व-रहनुमा’’ कहते हैं। उनका यह कार्य किसी विशेष जाति, समूह, काल, समय के लिए न था, बल्कि समस्त मानव-जाति के लिए है। यह मानवता की संयुक्त धरोहर है जिस पर किसी का अधिकार किसी से कम और अधिक नहीं है। जो चाहे इससे लाभ उठाए। 

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