शनिवार, 11 जनवरी 2014

Hazrat Muhammad (SAw) on Test Parameter s मानदण्डों की कसौटी पर

मानदण्डों की कसौटी पर
आइए, अब देखें कि उपरोक्त चारों मानदंडों (Standard) पर वह व्यक्ति कहाँ तक पूरा उतरता है, जिसको हम ‘‘विश्व-रहनुमा’’ कहते हैं! पहले मानदंड को पहले लीजिए। आप हजरत मुहम्मद (सल्ल) के जीवन का अध्ययन करें तो एक ही दृष्टि में महसूस कर लेंगे कि यह किसी राष्ट्रवादी या देश-प्रेमी का जीवन नहीं है, बल्कि एक मानव-प्रेमी और विश्वव्यापी दृष्टिकोण रखने वाले नबी का जीवन है। उनकी दृष्टि में सारे मनुष्य समान थे, किसी परिवार, किसी वर्ग, किसी जाति, किसी वंश, किसी देश के विशेष लाभ से उन्हें कोई संबंध न था। अमीर और गरीब, ऊँचे और नीचे, काले और गोरे, अरब और गैर-अरब, एशियाई और यूरोपीय, सीरियायी और आर्य सबको वे इस वास्तविक रूप में देखते थे कि सब एक ही मानव-जाति के अंग हैं। उनके मुख से जीवन भर कोई एक शब्द या एक वाक्य भी ऐसा नहीं निकला और न जीवन भर में कोई काम उन्होंने ऐसा किया जिससे यह सन्देह किया जा सकता हो कि उन्हें एक मानव-वर्ग के विरुद्ध या दूसरे मानव-वर्ग के लाभ से विशेष संबंध है। यही कारण है कि उनके जीवन ही में हबशी, अफरीकी, ईरानी, रूमी, मिस्री और इसराईली उसी प्रकार उनके कामों में सहायक रहे जिस प्रकार अरब और उनके बाद संसार के हर कोने में हर वंश और हर जाति के मनुष्यों ने उनको उसी प्रकार अपना रहनुमा स्वीकार किया जिस प्रकार स्वयं उनकी कौम ने। यह इसी इंसानियत ही का तो चमत्कार है कि आज आप एक भारतवासी के मुख से उस महान पुरुष की प्रशंसा सुन रहे हैं जिसका सदियों पहले अरब में जन्म हुआ था।

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