सोमवार, 26 जनवरी 2015

निरक्षर ईशदूत Illiterate Messenger (UMMI NABI)

निरक्षर ईशदूत Illiterate Messenger (UMMI NABI)===========================================

हजरत मुहम्मद ने एथेन्स, रोम, ईरान, भारत या चीन के ज्ञान-केन्द्रों से दर्शन का ज्ञान प्राप्त नहीं किया था, लेकिन आपने मानवता को चिरस्थायी महत्व की उच्चतम सच्चाइयों से परिचित कराया। वे निरक्षर थे, लेकिन उनको ऐसे भाव पूर्ण और उत्साहपूर्ण भाषण करने की योग्यता प्राप्त थी कि लोग भाव-विभोर हो एठते और उनकी आँखों से आँसू फूट पड़ते। वे अनाथ थे और धनहीन भी, लेकिन जन-जन के हृदय में उनके प्रति प्रेमभाव था। उन्होंने किसी सैन्य अकादमी से शिक्षा ग्रहण नही की थी, लेकिन फिर भी उन्होंकने भयंकर कठिनाइयों और रुकावटों के बावजूद सैन्य शक्ति जुटाई और अपनी आत्मशक्ति के बल पर, जिसमें आप अग्रणी थे, कितनी ही विजय प्राप्त कीं। कुशलतापूर्ण धर्म-प्रचार करनेवाले ईश्वर प्रदत्त योग्यताओं के लोग कम ही मिलते हैं।
      डेकार्ड के अनुसार, ‘‘आदर्श उपदेशक संसार के दुर्लभतम प्राणियों में से है।’’ हिटलर ने भी अपनी पुस्तक Mein Kamp (मेरी जीवनगाथा) में इसी तरह का विचार व्यक्त किया है। वह लिखता है-‘‘महान सिद्धान्तशास्त्री कभी-कभार ही महान नेता होता है। इसके विपरीत एक आन्दोलनकारी व्यक्ति में नेतृत्व की योग्यताएँ अधिक होती हैं। वह हमेशा एक बेहतर नेता होगा, क्योंभ्कि नेतृत्व का अर्थ होता है, अवाम को प्रभावित एवं संचालित करने की क्षमता। जन-नेतृत्व की क्षमता का नया विचार देने की योग्यता से कोई सम्बंध नहीं है।’’ 
   लेकिन वह आगे कहता है-‘‘इस धरती पर एक ही व्यक्ति सिद्धांतशास्त्री भी हो, संयोजक भी हो और नेता भी, यह दुर्लभ है। किन्तु महानता इसी में निहित है।’’पैगम्बरे-इस्लाम मुहम्मद के व्यक्तित्व में संसार ने इस दुर्लभतम उपलब्धि को सजीव एवं साकार देखा है।
    इससे अधिक विस्मयकारी है वह टिप्पणी, जो बास्वर्थ स्मिथ ने की है-‘‘ वे जैसे सांसारिक राजसत्ता के प्रमुख थे, वैसे ही दीनी पेशवा भी थे। मानो पोप और केसर दोनों का व्यक्तित्व उन अकेले में एकीभूत हो गया था। वे सीजर (बादशाह) भी थे पोप (धर्मगुरु) भी। वे पोप थे किन्तु पोप के आडम्बर से मुक्त। और वे ऐसे केसर थे, जिनके पास राजसी ठाट-बाट, आगे-पीछे अंगरक्षक और राजमहल न थे, राजस्व-प्राप्ति की विशिष्ट व्यवस्था। यदि कोई व्यक्ति यह कहने का अधिकारी है कि उसने दैवी अधिकार से राज किया तो वे मुहम्मद ही हो सकते हैं, क्योंकि उन्हेंय बाह्य साधनों और सहायक चीजों के बिना ही राज करने की शक्ति प्राप्त थी। आपको इसकी परवाह नहीं थी कि जो शक्ति आपको प्राप्त थी उसके प्रदर्शन के लिए कोई आयोजन करें। आपके निजी जीवन में जो सादगी थी, वही सादगी आपके सार्वजनिक जीवन में भी पाई जाती थी।’’
Compiled by
zainul.abdin.initiative

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