रविवार, 11 जनवरी 2015

क्या इससे इन्कार मुमकिन है कि पैगम्बर मुहम्मद एक ऐसी जीवन-पद्धति बनाने और सुनियोजित करने वाली महान विभूति थे जिसे इस संसार ने पहले कभी नहीं देखा? तरुण विजय सम्पादक, हिन्दी साप्ताहिक ‘पा॰चजन्य’ (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पत्रिका)

तरुण विजय सम्पादक, हिन्दी साप्ताहिक ‘पा॰चजन्य’ (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पत्रिका)
‘‘...क्या इससे इन्कार मुमकिन है कि पैगम्बर मुहम्मद एक ऐसी जीवन-पद्धति बनाने और सुनियोजित करने वाली महान विभूति थे जिसे इस संसार ने पहले कभी नहीं देखा? उन्होंने इतिहास की काया पलट दी और हमारे विश्व के हर क्षेत्र पर प्रभाव डाला। अतः अगर मैं कहूँ कि इस्लाम बुरा है तो इसका मतलब यह हुआ कि दुनिया भर में रहने वाले इस धर्म के अरबों (Billions) अनुयायियों के पास इतनी बुद्धि-विवेक नहीं है कि वे जिस धर्म के लिए जीते-मरते हैं उसी का विश्लेषण और उसकी रूपरेखा का अनुभव कर सकें। इस धर्म के अनुयायियों ने मानव-जीवन के लगभग सारे क्षेत्रों में नाम कमाया और हर किसी से उन्हें सम्मान मिला...।’’
‘‘हम उन (मुसलमानों) की किताबों का, या पैगम्बर के जीवन-वृत्तांत का, या उनके विकास व उन्नति के इतिहास का अध्ययन कम ही करते हैं... हममें से कितनों ने तवज्जोह के साथ उस परिस्थिति पर विचार किया है जो मुहम्मद(सल्ल.) के, पैगम्बर बनने के समय, 14 शताब्दियों पहले विद्यमान थे और जिनका बेमिसाल, प्रबल मुकाबला उन्होंने किया? जिस प्रकार से एक अकेले व्यक्ति के आत्म-बल तथा आयोजन-क्षमता ने हमारी ज़िन्दगियों को प्रभावित किया और समाज में उससे एक निर्णायक परिवर्तन आ गया, वह असाधारण था। फिर भी इसकी गतिशीलता के प्रति हमारा जो अज्ञान है वह हमारे लिए एक ऐसे मूर्खता के सिवाय और कुछ नहीं है जिसे मान्य नहीं किया जा सकता।’’ आलेख (Know thy neighbor's it's Ramzan) अंग्रेजी दैनिक ‘एशियन एज’, 17 नवम्बर 2003 से उद्धृत
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