शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

Islam :Astronomy and big Bang


अंतरिक्ष - विज्ञान ंेजतवसवहल सृष्टि की संरचना ‘‘बिग बैंग’’
अंतरिक्ष विज्ञान के विशेषज्ञों ने सृष्टि की व्याख्या एक ऐसे सूचक (चीमदवउमदवद) के माध्यम से करते हैं और जिसे व्यापक रूप ‘‘से बिग बैंग’’ (इपह इंदह) के रूप में स्वीकार किया जाता है। बिग बैंग के प्रमाण में पिछले कई दशकों की अवधि में शोध एवं प्रयोगों के माध्यम से अंतरिक्ष विशेषज्ञों की इकटठा की हुई जानकारियां मौजूद है ‘बिग बैंग’ दृष्टिकोण के अनुसार प्रारम्भ में यह सम्पूर्ण सृष्टि प्राथमिक रसायन (चतपउंतल दमइनसं) के रूप में थी फिर एक महान विस्फोट यानि बिग बैंग (ेमबवदकतल ेमचंतंजपवद) हुआ जिस का नतीजा आकाशगंगा के रूप में उभरा, फिर वह आकाश गंगा विभाजित हुआ और उसके टुकड़े सितारों, ग्रहों, सूर्य, चंद्रमा आदि के अस्तित्व में परिवर्तित हो गए कायनात, प्रारम्भ में इतनी पृथक और अछूती थी कि संयोग (बींदबम) के आधार पर उसके अस्तित्व में आने की ‘‘सम्भावना (चतवइंइपसपजल) शून्य थी । पवित्र कुरआन सृष्टि की संरचना के संदर्भ से निम्नलिखित आयतों में बताता है-
‘‘क्या वह लोग जिन्होंने ( नबी मोहम्मद सल्ल. की पुष्टि ) से इन्कार कर दिया है ध्यान नहीं करते कि यह सब आकाश और धरती परस्पर मिले हुए थे फिर हम ने उन्हें अलग किया’’ (अल - कुरआन सुरः 21, आयत 30 )
इस कुरआनी वचन और ‘‘बिग बैंग‘‘ के बीच आश्चर्यजनक समानता से इन्कार सम्भव ही नहीं! यह कैसे सम्भव है कि एक किताब जो आज से 1400 वर्ष पहले अरब के रेगिस्तानों में व्यक्त हुई अपने अन्दर ऐसे असाधारण वैज्ञानिक यथार्थ समाए हुए है?
एक बार फिर, यह यथार्थ भी ‘‘बिग बैंग‘‘ के अनुकूल है जिसके बारे में हजरत मुहम्मद मुस्तफा (सल्ल.) की पैगम्बरी से पहले किसी को कुछ ज्ञान नहीं था (बिग बैंग दृष्टिकोण बीसवीं सदी यानी पैगमबर काल के 1300 वर्ष बाद की पैदावार है )
अगर इस युग में कोई भी इसका जानकार नहीं था तो फिर इस ज्ञान का स्रोत क्या हो सकता है?
(अधिक जानकारी के लिये देखें ‘कुरआन और साईन्स’)

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