शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

Editorial Sadbhaav doot


सत्य हमेशा स्पष्ट होता है। उसके लिए किसी तरह की दलील की जरूरत नहीं होती। यह बात और है कि हम उसे न समझ पाएँ या कुछ लोग हमें इससे दूर रखने का कुप्रयास करें। अब यह बात छिपी नहीं रही कि मानवतावादी सत्य गणवेषी विद्वानों ने ऐसे अकाट्य प्रमाण पेश कर दिए, जिससे सत्य खुलकर सामने आ गया है। ईश्वर एक है। उसका कोई भागीदार नहीं है। और मोहम्मद सल्ल. अल्लाह के रसूल हैं।
मानव-जीवन को कल्याण और भलाई के मार्ग पर डालने के लिए एक आदर्श (प्कमंस)चाहिए। आदर्श वास्तव में मापदंड (ेजंदकंतक) का काम करता है, जिस पर नाप-तौलकर यह पता लगाया जाता है कि किसी व्यक्ति के व्यवहार का कितना भाग खरा है और कितना खोटा। मापदंड या आदर्श काल्पनिक भी होते हैं, जो किस्से-कहानी के रूप में उपदेशों में बयान किए जाते हैं और सुनकर लोग खुश होते हैं। लेकिन उसका कोई वास्तविक लाभ व्यक्तिगत या सामाजिक जीवन में नहीं होता। आदर्श होने के लिए सिर्फ इतना ही काफी नहीं है कि यह संभव और व्यावहारिक हो, बल्कि यह भी ज़रूरी है कि वह आदर्श किसी का जीवन बन चुका हो और उसने उस पर चलकर आदर्श का व्यावहारिक नमूना पेश किया हो। उस व्यक्ति के हृदय मंे मानव के प्रति इतना प्रेम हो कि हर कोई उसे अपना शुभ चिंतक समझने लगे। उसके प्रेम में डूबकर उसके आदर्श को अपनाने के लिए दीवाना हो जाए। इसके लिए वह केवल धन और दौलत लुटाने ही को तैयार न हो बल्कि जीवन भी बलिदान करने के लिए तत्पर हो जाए।
इतिहास में ऐसे अनगिनत महापुरुष हुए हैं जिन्होंने अपना सब कुछ मानवता के उत्थान और मुक्ति के लिए बलिदान किया है। मानव का सही मार्गदर्शन किया है। उन सब पर ईश्वर की अपार कृपा हो! दुनिया के किसी कोने में, इतिहास के किसी भी काल में और मानव-समुदाय की किसी भी जाति में उनका जन्म हुआ हो, हम उन्हें सलाम करते हैं और अपनी हार्दिक श्रद्धा उनको अर्पित करते हैं। वे सभी हमारे आदर्श पुरुष हैं।
लेकिन इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि कालांतर में उनकी जीवनी और उनकी शिक्षाएं सुरक्षित नहीं रह सकीं। कुछ ऐसे प्रमाण अवशेष हैं जिनसे हमें मालूम होता है कि वे महान और आदर्श पुरुष थे। अफसोस कि उनके जीवन के आकार-प्रकार और उनकी शिक्षाओं की विस्तृत जानकारी के लिए हमारे पास कोई प्रमाणिक साधन नहीं है। यह ईश्वर की अनुकम्पा है कि महान विभूतियों में एक महान व्यक्तित्व का पूरा जीवन इतिहास के प्रकाश में है। उसके जीवन और शिक्षाओं के बारे में हम जो कुछ जानना चाहें, सब मालूम कर सकते हैं। कहीं अटकल और अनुमान से काम लेने की जरूरत नहीं। निजी जीवन, सामाजिक जीवन और राजनीतिक जीवन भी, सब प्रकाश में हैं। यह प्रकाश-पुंज समस्त मानवजाति की अमूल्य धरोहर है। यह व्यक्तित्व है हजरत मुहम्मद (सल्ल.) का।
सच्चाइयों के आलोक में मानवमात्र को एक सूत्र में बांधने और मानव एकता एवं अखण्डता को मजबूत करने के लिए सार्थक प्रयास हो सकते हैं। यह समय की मांग भी है। वैमनस्यता भ्रष्टाचार और सम्प्रदायिकता के इस आत्मघाती दौर में ये सच्चाइयां मील का पत्थर साबित हो सकती हैं। भाई-भाई को गले मिलवा सकती हैं और एक ऐसे नैतिक और सद् समाज का निर्माण कर सकती है, जहां हिंसा, शोषण, दमन और नफरत लेशमात्र भी न हो। इन्हीं उद्देश्यों को लेकर मोहम्मद सल्ल. की जीवनी के कुछ अंश और उनके द्वारा लाई और बताई गयी शिक्षाओं को मानव उद्वारक (रहमतुललिल आलेमीन/सद्भाव दूत) की पवित्र जीवन की सच्चाईयों को एक साथ आपके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। इस कोशिश में हमें कितनी सफलता मिली यह आप ही बताएंगे। उम्मीद है कि ये सच्चाइयाँ दिल की गहराइयों में उतरकर हम सभी को मानव कल्याण के लिए प्रेरित करेंगी।
सम्पादक - सद्भाव दूत
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